ईशा दुबे
न्यूज़ डेस्क : (GBN24)
बिहार का पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र इन दिनों पूर्व सांसद पप्पू यादव के कारण सुर्खियों में है। सुर्खियों के पीछे मुख्य वजह है इंडि गठबंधन में RJD से बीमा भारती को टिकट मिलना। वहीं पूर्व सांसद और जन अधिकार पार्टी से कांग्रेस में विलय करने वाले पप्पू यादव(Rajesh Ranjan) अपनी प्रतिष्ठा की सीट मान चुके थे… वह जान तक देने की बात कर रहे थे. लेकिन, यह सीट ही राजद के खाते में चली गई और पप्पू यादव की उम्मीदों पर पानी फिर गया।
दूसरी ओर, बीमा भारती जदयू छोड़कर RJD में शामिल हो गई और इसके तुरंत बाद लालू प्रसाद यादव ने बीमा भारती को पूर्णिया से राजद का प्रत्याशी बना दिया और उन्हें सिंबल भी दे दिया। बीमा भारती को सिंबल मिलने से नाराज पप्पू यादव ने तब कहा था कि कुछ भी हो जाए वह जान दे देंगे, लेकिन पूर्णिया नहीं छोड़ेंगे। वह आत्महत्या कर लेंगे, लेकिन अपनी मां पूर्णिया से अलग नहीं होंगे। लेकिन, पुत्र मोह में फंसे लालू यादव कहीं ना कहीं पप्पू यादव राजद परिवार के लिए खतरा मानकर चल रहे हैं।
इस सब के पीछे लालू यादव की पुरानी राजनीति सामने आ रही है। पप्पू यादव उनके चक्रव्यूह में फंसते दिख रहे हैं क्योंकि उन्हें पहले मधेपुरा और फिर सुपौल से लड़ने का ऑफर दिया गया था, लेकिन पूर्णिया, मधेपुरा और सुपौल सीट ही RJD के खाते में चली गई। इधर, इशारों ही इशारों में तेजस्वी यादव ने पप्पू यादव पर तीखा तंज कसा है। उन्होंने कहा कि RJD का गठबंधन कांग्रेस के साथ है, किसी व्यक्ति के साथ नहीं।
दोनों पार्टियों के बीच सीट बंटवारा हो चुका है। पप्पू यादव का मामला कांग्रेस पार्टी के अंदर का मसला है। कांग्रेस की फटकार के बाद भी पप्पू यादव ने ऐलान किया है कि वो चार अप्रैल को पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर नामांकन करेंगे। उन्होंने RJD सुप्रीमो लालू यादव से आग्रह किया है कि वो पूर्णिया की सीट कांग्रेस के लिए छोड़ दें।
जाहिर तौर पर पूर्णिया सीट पर इंडि गठबंधन का प्रत्याशी घोषित नहीं हो पाना यह पप्पू यादव के लिए बड़ा झटका है। बिहार की राजनीति में खासा दबदबा रखने वाले पप्पू यादव इतनी जल्दी हार नहीं मानने वाले। खबर ये भी है कि पप्पू यादव चार अप्रैल को पूर्णिया सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन कर सकते हैं। अब देखना ये है कि आने वाले समय में पूर्णिया सीट का ये संग्राम बिहार की राजनीति में क्या गुल खिलाता है।