न्यूज़ डेस्क : (GBN24)
स्नेहा श्रीवास्तव
PM Modi रूस में हैं और वहां उनका जोरों शोरों से स्वागत किया गया. उनके इस दौरे पर पूरी दुनिया की नजर टिकी है. दुनियाभर की मीडिया ने इस खबर को प्रमुखता से कवर किया है, PM Modi सोमवार से ही रूस दौरे पर हैं, रूस की राजधानी मॉस्को में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने उनका जोरदार स्वागत किया.
सोमवार को मॉस्को के नोवो ओगारियोवो में पुतिन के आधिकारिक आवास क्रेमलिन में दोनों देश के प्रधानमंत्रियों के बीच अनौपचारिक बैठक भी हुई और मंगलवार को PM Modi 22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा भी लिए. फरवरी 2022 में यूक्रेन के साथ रूस का युद्ध शुरू होने के पश्चात PM Modi का यह पहला रूस दौरा है जिस पर देशभर की मीडिया आंखें गड़ाए है. अमेरिकी मीडिया भी मोदी के दौरे पर लगातार अपनी नजर बनाए हुए हैं और वहां कहा जा रहा है कि PM Modi का दौरा दिखाता है कि रूस को अलग-थलग कर करने की व्हाइट हाउस की कोशिश काम नहीं आई है और भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति पर चल रहा है.
द वॉशिंगटन पोस्ट
अमेरिकी अखबार ”द वॉशिंगटन पोस्ट” PM Modi के रूस दौरे पर लिखता है कि रूस यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद मोदी ने पहली बार रूस दौरे पर जाकर यह पूरी तरह से स्पष्ट कर दिया की अमेरिकी दबाव होने के बाद भी भारत रूस के साथ अपने रिश्ते मजबूती के साथ बरक़रार रखेगा और वह इसका यह तर्क दे सकता है कि भारत जो कि रूस का परम मित्र है, पश्चिमी देशों और रूस के बीच मध्यस्थ की भूमिका भी निभा सकता है.
अमेरिकी अखबार छापता है की ”मॉस्को में रूसी राष्ट्रपति को गले लगा कर मोदी की तस्वीरें यह स्पष्ट करती है कि अमेरिकी प्रशासन भारत को चाहे जितना अपने तरफ लाने की कोशिश करे, वो रूस के साथ अपने रिश्ते मजबूत बनाए रखेंगे.
‘अखबार ने लिखा, ‘मोदी सरकार ने तीसरी बार पद ग्रहण करने के एक महीने से भी कम समय में रूस का दौरा किया, जिसके जरिए वो पुतिन को दिखाना चाहते हैं कि भले ही भारत-अमेरिका सहयोग दशकों के अपने उच्चतम स्तर पर है, भारत पश्चिमी खेमे में नहीं फिसला है रूस में भारत के पूर्व राजदूत और उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार पंकज सरन के हवाले से वॉशिंगटन पोस्ट लिखता है, ‘कार्यकाल की शुरुआत में ही पीएम मोदी के रूस PM Modi के रूस जाने का निर्णय एक संकेत है कि भारत रूस के साथ अपने संबंधों को पहले की तरह ही तवज्जो दे रहा है- जो कि पार्टी लाइनों से ऊपर उठकर भारत की विदेश नीति का अभिंग अंग है.
द न्यूयॉर्क टाइम्स
अमेरिका का प्रसिद्ध और प्राचीन अख़बार ”द न्यूयॉर्क टाइम्स” ने छापा कि PM Modi का दौरा इस बात का संकेत देता है कि रूस को अलग करने की पश्चिमी साज़िश के बावज़ूद भी PM Modi ने कूटनीतिक रास्ता नहीं बदला. अखबार ने यह भी लिखा की, ‘पुतिन के लिए मोदी का दौरा यह दिखाने का तरीका है कि अमेरिका से भारत के गहरे रिश्तों के बावजूद रूस और भारत के बीच मजबूत साथ बरकरार है. भारत ने रूस से भारी मात्रा में सस्ता तेल खरीदा है, जिससे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध झेल रहे रूस को अपना राजस्व भरने में कुछ मदद मिली है. रूस चाहता है कि पश्चिमी प्रभुत्व वाली वैश्विक व्यवस्था को नया आकार देने में भारत उसका भागीदार बने.
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर और भारतीय विदेश नीति के विशेषज्ञ हैप्पीमोन जैकब ने अमेरिकी अखबार से बात हुए कहा कि चीन के साथ रूस की बढ़ती करीबी का मुकाबला करने के लिए भारत रूस के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है.उनका कहना है कि भारत को शायद यह एहसास हो गया है की अमेरिका रूस के साथ संबंध बढ़ाने के लिए उसपर कभी भी किसी तरह का रोक नहीं लगाएगा क्योंकि चीन अमेरिका के प्रमुख प्रतिद्वंद्वी के रूप में उभर रहा है. चीन को संतुलित करने के लिए अमेरिका को भारत की जरूरत है.
वॉयस ऑफ अमेरिका (वीओए)
अमेरिकी ब्राडकास्टर वीओए ने पीएम मोदी के रूस दौरे से संबंधित अपनी एक खबर को शीर्षक दिया है- रूस-चीन करीबी संबंधों को ध्यान में रखते हुए मोदी मॉस्को पहुंचे .खबर की शुरुआत में वीओए ने लिखा, ‘भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसे वक्त में रिश्ते मजबूत करने के लिए दो दिवसीय दौरे पर सोमवार को रूस पहुंचे हैं जब रूस भारत के धुर विरोधी चीन के साथ अपने संबंध मजबूत कर रहा है. विश्लेषकों का कहना है कि पांच सालों में मोदी के पहले रूस दौरे का मुख्य फोकस रूस के साथ अपनी पारंपरिक दोस्ती की तस्दीक करना है.
‘वीओए ने लिखा कि PM Modi का रूस दौरा पुतिन के लिए भी अहम है और इसके जरिए वो पश्चिम को दिखा रहे हैं कि प्रतिबंधों से वो अलग-थलग नहीं पड़े हैं. लेख में यह भी लिखा गया की, ‘कुछ विशेषज्ञों ने मोदी के रूस दौरे की समय की तरफ इशारा किया है जो मंगलवार को शुरू हो रहे NATO के शिखर सम्मेलन से मिलता जुलता है. इस शिखर सम्मेलन में पश्चिमी देश यूक्रेन पर ध्यान दिया जायेगा .