Ravindra Puri: उज्जैन में भगवान महाकाल की पारंपरिक सवारी का नाम बदलने के बाद अब कुम्भ में होने वाले शाही स्नान(Royal Bath) का नाम बदलने की मांग की जा रही है. यह मांग अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी (Ravindra Puri) ने की है. उनका कहना है कि शाही उर्दू शब्द है, मुगलों ने ये नाम दिया था और ये गुलामी का प्रतीक है. हिन्दू धर्म के अनुसार यह नाम हटा कर राजसी स्नान होना चाहिए
दरअसल उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आगामी महाकुंभ (Mahakumbh) की तैयारी की जा रही है. जो कि 14 जनवरी मकर संक्रांति से लेकर 3 फरवरी वसन्त पंचमी तक शाही स्नान होगा. हिन्दू धर्म के अनुसार शाही स्नान को अमृत स्नान माना जाता है जिसमे अखाड़ों के आचार्य महामंडलेश्वर, महंत और नागा साधु शाही स्नान करते है और ये परम्परा सदियों से चली आ रही है.
मीडिया से बात करते हुए Ravindra Puri ने कहा है कि, शाही एक उर्दू शब्द है. उन्होंने कहा कि राजसी ‘देव वाणी’ का शब्द है जो समृद्ध सनातनी परंपराओं का प्रतीक है. उन्होंने कहा कि शाही शब्द गुलामी का प्रतीक है और इसे मुगलों द्वारा गढ़ा गया था. अब समय आ गया है कि हमें शाही स्नान का नाम बदलना चाहिए.
उन्होंने आगे ये भी कहा कि, 13 अखाड़ों के प्रतिनिधियों से बात करने के बाद राजसी नाम को अंतिम रूप दिया जाएगा और आगामी महाकुंभ से इसका इस्तेमाल किया जाएगा. शाही स्नान का नाम राजसी स्नान करने के बाद सभी अधिकारियों को सूचित किया जाएगा ताकि वह सही कार्यवाई कर सकें.
आपको बता दें, ऐसा बार नहीं हो रहा है. कुछ समय पहले मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थानीय विद्वानों, संतों और भक्तों ने भगवान महाकाल की पारंपरिक सवारी से ‘शाही’ शब्द को हटाने की मांग की थी. अब देखना यह होगा की क्या अखाड़ा परिषद की बैठक में यह मांग पूरी की जाएगी या नहीं.