न्यूज़ डेस्क : (GBN24)
स्नेहा श्रीवास्तव
हिंदू धर्म में Sawan के महीने को अत्यधिक महत्वपूर्ण माना गया है. हिंदू पंचांग के अनुसार सावन का महीना साल का पांचवा महीना होता है और यह महीना भगवान शिव को समर्पित होता है. इस महीने में भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा अर्चना करनी चाहिए.
Sawan के महीने लेख सोमवार का महत्व और भी अधिक होता है. इस माह में भगवान शिव कि पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. पुराणों के अनुसार, अगर सावन के माह में भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा -पाठ किया जाए तो भक्त की सभी मनोकामना पूरी होती है. इसके साथ ही Sawan के सोमवार व्रत रखने से भोलेना अगला की विशेष कृपा प्राप्त होती है.
हिंदू पंचांग के अनुसार कब से शुरू हो रहा है Sawan का महीना
इस साल 21 जुलाई से Sawan का महीना शुरू हो रहा है। 10 अगस्त 2024 को सावन मास समाप्त होगा. सावन मास का महत्व शास्त्रों में भी Sawan मास के महत्व का जिक्र मिलता है. कहा जाता है कि इस महीने में भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं. इसके साथ ही सोमवार के व्रत का फल भी जल्द ही मिलता है.
Sawan महीने की पूजा – विधि
- सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान करने के पश्चात साफ वस्त्र धारण करें.
- घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें.
- तत्पश्चात सभी देवी-देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें.
- शिवलिंग पर दूध आदि चढ़ाएं.
- भगवान शिव को पुष्प अर्पित करें.
- भगवान शिव को बेल पत्र अर्पित करें.
- भगवान शिव की आरती करें और उनको भोग भी लगाएं.
- इस बात का ध्यान रहें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का ही भोग लगाया जाता है.
- भगवान शिव का अधिक से अधिक ध्यान करें व जाप करे.
पूजा में प्रयोग होने वाली सामग्री-
पुष्प, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें, तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि.
व्रत के नियम
1. Sawan महीने में मास-मंदिरा का सेवन बिल्कुल ना करे.
2. इस महीने वाद-विवाद से भी दूर रहना चाहिए. घर-परिवार में प्यार बना रहना चाहिए.
3. Sawan महीने में लहसुन और प्याज के सेवन करने की होती है.
4. इसके अतिरिक्त मसूर की दाल, मूली, बैंगन आदि के सेवन की भी ना करें. शास्त्रों में बासी और जले हुए खाने को तामसिक भोजन की श्रेणी में रखा गया है.
5. शास्त्रों के अनुसार, सोमवार का व्रत बीच में बिल्कुल नहीं छोड़ना चाहिए. अगर आप व्रत रखने में असमर्थ हैं तो भगवान शिव से माफी मांग कर ना करें.
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