न्यूज़ डेस्क : (GBN24)
शशिकाल दुषाद
Split in India Alliance: हरियाणा की सत्ता में वापसी की उम्मीद कर रही कांग्रेस (Congress) को भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने एक बार फिर से बड़ा झटका दिया है. विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद अब इंडिया गठबंधन के अंदरखाने की तकरार शुरू हो गई है. साथ ही गठबंधन के सहयोगी दलों ने भी कांग्रेस को आंख दिखाना शुरू कर दिया है. आम आदमी पार्टी (AAP) से लेकर महाराष्ट्र के शिवसेना उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने सीधे तौर पर हरियाणा में कांग्रेस के अकेले चुनाव लड़ने पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं तो वहीं सपा प्रमुख अखिलेश (Akhilesh Yadav) ने यूपी उपचुनाव की दस में से छह सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है.
जम्मू कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस (National Conference) के संग मिलकर सरकार बनाने जा रही कांग्रेस पार्टी के लिए हरियाणा की हार बड़ी मुसीबत बनती हुई नज़र आ रही है. खास तौर पर हरियाणा में कांग्रेस को मिली हार के बाद से यूपी उपचुनाव और आने वाले महाराष्ट्र-दिल्ली विधानसभा चुनाव को देखते हुए इंडिया गठबंधन (Split in India Alliance) के सहयोगी दलों ने कांग्रेस को अभी से घेरना शुरू कर दिया है.
गठबंधन में इस खींच तान की शुरुआत शिवसेना (यूबीटी) ने की है तो वहीं अब इसमें आम आदमी पार्टी भी कूद पड़ी है. सपा प्रमुख अखिलेश ने बुधवार को जिन छह सीटों पर उम्मीदवारों कि घोषणा की है. उसमें दो सीटें वो हैं, जिन पर कांग्रेस इस बार चुनाव लड़ना चाहती थी.
अखिलेश यादव ने दिया कांग्रेस को झटका
हरियाणा चुनाव में कांग्रेस को मिली हार का साइड इफेक्ट सबसे पहले उत्तर प्रदेश में देखने को मिला है. दरअसल यूपी की 10 सीटों पर उपचुनाव होने हैं इन 10 सीटों में से कांग्रेस 5 सीटों (Split in India Alliance) पर दावा कर रही है जबकि सपा लगातार ये संकेत दे रही थी कि वह कांग्रेस को बस एक सीट ही दे सकती है. अब हरियाणा चुनाव नतीजों के बाद सपा ने छह सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं. इनमें फूलपुर, और मंझवा सीट भी शामिल है.
इन सीटों पर कांग्रेस टिकट मांग रही थी. कांग्रेस का तर्क यह है कि मझंवा सीट पर सपा कभी नहीं जीत हासिल कर पायी है और फूलपुर उनकी परंपरागत सीट रही है. बता दें कि, नेहरू पहला चुनाव फूलपुर से ही लड़े थे. इसके अलावा कांग्रेस गाजियाबाद, मीरापुर और खैर सीटें भी मांग रही है. लेकिन इनमें से सपा सिर्फ गाजियाबाद सीट ही कांग्रेस को देना चाहती है. खैर और मीरापुर सीट छोड़ने के लिए अखिलेश यादव रजामंद नहीं है.
केजरीवाल ने कांग्रेस को दिखाया आईना
इंडिया ग्रठबंधन की सहयोगी रही आम आदमी पार्टी भी इस समय कांग्रेस पर जमकर हमला बोल रही है. दरअसल हरियाणा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन (Split in India Alliance) होने जा रहा था. लेकिन आम आदमी पार्टी 10 सीटों की मांग कर रही थी. जबकि कांग्रेस 5 सीटों से ज्यादा देने को तैयार नहीं थी. जिसके बाद दोनों ही पार्टियों ने अलग अलग चुनाव लड़ने का फैसला किया और दोनों ही दलों को इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा. माना जा रहा है कि आने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव के बहाने आम आदमी पार्टी कांग्रेस को सबक जरूर सिखाएगी .