Tuesday, October 15, 2024

Supreme Court का सख्त संदेश: Patanjali के संस्थापकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग

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न्यूज़ डेस्क : (GBN24)

शुक्रिया शाहि

मुख्य खबर: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पतंजलि (Patanjali) कंपनी के संस्थापकों, बाबा रामदेव (Baba Ramdev) और बालकृष्ण (Balkrishna) के खिलाफ ठोस संदेश दिया है। उन्होंने माफी को स्वीकार नहीं किया और कहा, “हम अंधे नहीं हैं”। यहाँ सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि कंपनी के उपर लगाए गए आरोपों को सीधे तौर पर स्वीकार न करके उनके खिलाफ संदेश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड लाइसेंसिंग प्राधिकरण (Uttarakhand Licensing Authority) की भी टीम को कड़ा नोटिस भेजा है, और केंद्र सरकार की भी संतुष्टि नहीं है। इसका मतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि मामले में उत्तराखंड सरकार की भी भूमिका को गंभीरता से लेने की सलाह दी है, जिसके तहत उत्तराखंड लाइसेंसिंग प्राधिकरण को भी कड़े नोटिस की ओर संकेत मिला है।

पतंजलि मामले का पूरा मामला…

पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड, भारतीय उद्योगपति (Indian industrialist) बाबा रामदेव द्वारा स्थापित की गई कंपनी है जो स्वास्थ्य से संबंधित उत्पादों का निर्माण और विपणन करती है। यह उद्योगपति कंपनी भारतीय बाजार में बहुत ही प्रसिद्ध है और उसके उत्पादों की विश्वसनीयता का विशेष ध्यान रखा जाता है।

पतंजलि मामले का विवाद उसके उत्पादों की गुणवत्ता और विज्ञापनों के आरोपों पर आधारित है। कई लोगों ने दावा किया कि पतंजलि कंपनी के उत्पादों के आयुर्वेदिक गुणों पर संदेह है और उनके विज्ञापनों में अतिरंजनात्मक दावे किए जाते हैं। इसके खिलाफ कई धारावाहिक और सामाजिक संगठनों ने विरोध प्रकट किया।

प्रारंभिक प्रक्रिया

सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति हिमा कोहली और ए अमानुल्लाह (Justices Hima Kohli and A Amanullah) ने पतंजलि मामले की शुरुआती प्रक्रिया में एक नोटिस जारी किया। उन्होंने कहा कि बाबा रामदेव और बालकृष्ण ने माफी को सबसे पहले मीडिया को भेजा।

न्याय कोहली ने यह भी कहा कि जब तक मामला कोर्ट में पहुंचता है, तब तक दोषियों को लगता है कि उन्हें अफीडेविट भेजने का समय नहीं आया है। उन्होंने साफ़ता के मामले में विश्वास जताया।

न्यायिक कदम

पतंजलि के संस्थापकों के प्रति न्यायमूर्ति मुकुल रोहतगी (Justice Mukul Rohatgi) ने यह कहा कि माफी भेज दी गई थी। यह मतलब है कि उन्होंने अपने द्वारा किए गए किसी गलत कार्य के लिए आरोपित व्यक्तियों के प्रति माफी की प्रस्तुति की थी। यह स्वीकृति या इतिराज का एक प्रकार हो सकता है, जो मामले के विवादित पहलूओं को समझने में मदद कर सकता है।

कोर्ट का निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने आफीडेविट पढ़ते समय कहा, “आप आफीडेविट को धोखा दे रहे हैं। यह किसने ड्राफ्ट किया, मुझे हैरानी हो रही है।” इसका अर्थ है कि सुप्रीम कोर्ट ने उस आफीडेविट को पढ़ते समय उसमें कुछ गड़बड़ी का पता लगाया और उसे धोखा देने का आरोप लगाया।

रोहतगी ने कहा कि इस आफीडेविट में “लापस” था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह एक बहुत ही छोटा शब्द है। इससे सुझाव दिया जा रहा है कि उस आफीडेविट में कुछ संदेहजनक तत्व शामिल हो सकते हैं और सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें ध्यान से समझने का आग्रह किया है।

उत्तराखंड सरकार पर सवाल

पतंजलि मामले में उत्तराखंड सरकार के लाइसेंसिंग इंस्पेक्टरों (licensing inspectors) के कार्य को लेकर है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा कि उत्तराखंड में क्यों लाइसेंसिंग इंस्पेक्टर कार्रवाई नहीं कर रहे हैं, जिससे कंपनी की गुणवत्ता और विज्ञापनों (quality and commercials) को निगरानी में दिक्कतें आ रही हैं।

कोर्ट ने सरकार से कहा कि तीन ऐसे अधिकारी जिनका काम संदिग्ध है, तुरंत निलंबित किए जाएं। इससे साफ होता है कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से इस मामले में कार्रवाई की मांग की है और इसे गंभीरता से लेने की सलाह दी है।

सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि मामले में सच की तरफ अदालत की निष्ठा दिखाई। यह मामला व्यवहार के उपयोग के लिए भी एक संदेश है। सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि मामले में फैसला सुनाते हुए उसके खिलाफ कुछ सख्त कदम उठाए।

उन्होंने कंपनी को कुछ नियमों का पालन करने के लिए निर्देश दिए और उन्हें उत्पादों के विज्ञापनों में सत्य सुनिश्चित करने के लिए आग्रह किया। यह फैसला न केवल उपभोक्ताओं के हित में था, बल्कि व्यापारिक नैतिकता को भी बढ़ावा देने वाला था।

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद के बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण की ‘अवमानना’ की माफी को स्वीकार नहीं किया जबकि उन्हें चेताया कि उन्हें अवमानना मामले में कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा।

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