कुसुम ठाकुर
न्यूज़ डेस्क : (GBN24)
ध्वस्त हो गया सैम का साम्राज्, अतीक, मुख्तार और शहाबुद्दीन की हो चुकी है मौत, कभी तीनों का था आतंक, सिवान के सुल्तान यानी मोहम्मद शहाबुद्दीन, अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी के नाम का पहला अक्षर मिलाकर बनता है SAM, यानी शहाबुद्दीन, अतीक और मुख्तार। कभी ये सफेदपोश उत्तर भारत में आतंक का पर्याय थे। इनके एक इशारे पर अपराध की दुनिया में वारे-न्यारे होते थे। तीनों ने अपने तरीके से अरबों का साम्राज्य बनाया था। जिनकी दहशत बिहार से लेकर यूपी तक फैली हुई थी, इनका आंतक इस कदर छाया हुआ था, कि ये पुलिस से लेकर सभी जांच एजंसियों के लिए भी एक चुनौती की तरह थे, लेकिन माफिया मुख्तार अंसारी की मौत के बाद इस सैम ग्रुप का आखिरकार खात्मा हो ही गया। आइए आज आपको इस सैम ग्रुप के बारे में विस्तार से बताते है.
इस तरह देखा जाए तो यूपी और बिहार में आतंक मचाने वाली इस तिकड़ी का अंजाम कमोबेश एक जैसा ही हुआ है. इन तीनों माफिया सरगनाओं की मौत विवादास्पद हालातों में अस्पताल परिसरों में ही हुई. जहां एक ओर कत्ल और खून खराबा को खेल समझने वाले मुख्तार अंसारी और मोहम्मद शहाबुद्दीन ने बीमारी के कारण दम तोड़ा तो वहीं अतीक अहमद की गोली मारकर हत्या कर दी गई. एक तरह से यह उत्तर प्रदेश और बिहार में बड़े डॉन या ‘बाहुबलियों’ के एक युग का अंत है.
ये तीनो उत्तर प्रदेश और बिहार में खौफ का दूसरा नाम माना जाता था. मुख्तार अंसरी और अतीक अहमद की एक साल के भीतर मौत हुई, जबकि मोहम्मद शहाबुद्दीन ने महज 53 साल की उम्र में 1 मई 2021 को दिल्ली के दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में कोरोना संक्रमण से दम तोड़ दिया था. बताया जा रहा है कि 63 साल के मुख्तार अंसारी की मौत कॉर्डिएक अरेस्ट की वजह से हुई है. वहीं अतीक अहमद की प्रयागराज के मेडिकल कॉलेज में पुलिस हिरासत में बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. उस वक्त उसकी उम्र करीब 60 साल थी.
.सबसे पहले बात करते है मोहमम्मद शहाबुद्दीन की जो बिहार का बाहुबली और RJD का पूर्व सांसद था। जिसकी 2021 में कोरोना से मौत हो गई थी। शहाबुद्दीन हत्या के मामले में तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा था। बाहुबली नेता कहे जान वाला शहाबुद्दीन अपराध की दुनिया का बड़ा नाम रहा। शहाबुद्दीन 1986 से मात्र 19 साल की उम्र में ही अपराध की दुनिया में शामिल हो चुका था. जिसके बाद वो 24-25 साल की उम्र में सक्रिय राजानीति का भी एक बड़ा नाम बना।
अब बात करते है दूसरे माफिया अतीक अहमद की जिसकी प्रयागराज में तूंती बोलती थी, उसके आतंक से लोग खौफ खाते थे। वो हर वारदात को अपने खूंखार अंदाज में अंजाम देता था। अपराध दुनिया से उसने सियासत की दुनिया में कदम रखा और सफेदपोश की आड़ में अपने आतंक का साम्राज्य बढ़ाता गया, लेकिन उसकी भी बहुत दर्दनाक मौत हुई। दिनदहाड़े पुलिस कस्टडी में गोली मारकर हत्या कर दी गई।
बहरहाल दर्जनों लोगों की हत्या के लिए जिम्मेदार तीसरे नंबर पर है मुख्तार अंसारी जिसका हार्ट अटैक होने से 63 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। मुख़्तार पर बड़ी हत्याओं का आरोप लगाया गया. पूरा राज्य उन्हें माफिया के रूप में जानता था, जो जमीन पर कब्जा करते थे, भाड़े पर हत्याएं करते थे, अपहरण और जबरन वसूली उनके गुर्गों से जुड़ा एक कुटीर उद्योग था. मुख्तार अंसारी एक ऐसा नाम था, जो पूर्वांचल में ही नहीं बल्कि प्रदेश और देश के दूसरे राज्यों में घटने वाली बड़ी आपराधिक घटनाओं से अक्सर चर्चा में रहता था। अपराध से लेकर सियासी दुनिया तक मुख्तार का बोलबाला था, लेकिन आज इसका भी साम्राज्य ढह गया। घटना 29 नवंबर 2005 की है। गाजीपुर जिले के मोहम्मदा बाद से तत्कालीन बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय समेत 7 लोगों को गोलियों से भून दिया गया था। कृष्णानंद राय पर 500 राउंड फायरिंग हुई थी। इस हमले में एके-47 का इस्तेमाल हुआ था, मोस्टमार्टम में कृष्णानंद राय के शरीर से अकेले 67 गोलियां निकली थीं। यह घटना उत्तर प्रदेश के इतिहास में सबसे सनसनीखेज राजनीतिक हत्याओं में दर्ज हो गई।
एक तरफ जहां उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने अतीत में राजनीतिक लाभ के लिए अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी पर भरोसा किया, वहीं बिहार में यही काम राष्ट्रीय जनता दल ने शहाबुद्दीन के लिए किया. मगर विधायक कृष्णानंद राय और बसपा के विधायक राजू पाल की जिस तरह सरेआम दिनदहाड़े अंधाधुंध फायरिंग की गई थी , उसके बाद अतीक और मुख्तार का राजनीतिक संरक्षण करीब-करीब खत्म हो गया. इन दोनों के दुर्दिन की शुरुआत उसी वक्त से हो गई थी. मगर योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के बाद ही इनके ताबूत में अंतिम कील ठोकी गई.
मुख्तार अंसारी के मौत के बाद कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय ने कहा कि मुझे आज न्याय मिला है। बाबा विश्वनाथ और भगवान राम की कृपा से न्याय मिला है। इसके लिए हम पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद देते हैं।
एक और माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की मौत के साथ ही माफिया सरगनाओं की उस तिकड़ी का अंत हो गया, S से शहाबुद्दीन, A से अतीक और M से मुख्तार, ये तीनों नाम है जिन्हें सैम ग्रुप के तौर पर कोड किया गया था और आज इन तीनों माफियां मिट्टी में मिल चुके है और इस तरह सैम ग्रुप के आतंक का सम्राज्य खत्म हो चुका है। जिनको एक वक्त में उत्तर प्रदेश और बिहार में खौफ का दूसरा नाम माना जाता था।