न्यूज़ डेस्क : (GBN24)
स्नेहा श्रीवास्तव
Umanath Mandir: बिहार में भी है काशी जहाँ हर मनोकामना पूर्ण होती है. आपको बता दे उस कामना पूर्ति मंदिर का नाम उमानाथ (Umanath Mandir) है जहाँ श्रीराम – श्रीकृष्ण के आलावा रावण भी कर चुके है पूजा.
जानकारी के लिए आपको बता दें कि गंगा दक्षिण-पूर्व दिशा में बहती है, गंगोत्री ग्लेशियर से लेकर बंगाल की खाड़ी तक बहती है गंगा. यद्यपि, इस लम्बे सफर में कई ऐसी जगह है जहां पर गंगा नदी का घुमावदार बहाव उत्तर दिशा में बहता है, जिसे सनातनी बहुत ही पवित्र और मोक्षदायनी मानते हैं. आज हम आपको सावन की पहली सोमवारी में लिए ले चलते हैं उत्तरायण गंगा के तट पर स्थित पटना जिले के बाढ़ अनुमंडल स्थित Umanath Mandi.
बाढ़, पटना जिले का एक शहर है जो उत्तरवाहिनी गंगा के तट पर स्थित है.भगवान शिव का एक बहुत ही पवित्र और प्राचीन मंदिर जो की Umanath Mandir के नाम प्रसिद्ध है , जो उत्तरवाहिनी गंगा के तट पर मौजूद है. यह मंदिर सावन के माह में स्थानीय लोगों के लिए तीर्थयात्रा का प्रसिद्ध स्थान है. लोग सावन के महीने में शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाने के लिए अलग-अलग जगहों से यहां आते है. आपको ये भी बता दें कि उत्तरायण गंगा नदी के जल को शिवलिंग पर चढ़ाने का विशेष महत्व है . बाढ़ अपने आप में सदियों पुराने गौरवमयी इतिहास को छिपाए हुए है .गंगा तट पर होने के कारण ही इसे ‘बिहार का काशी’ (Umanath Mandir) कहा जाता है.
बिहार का सबसे पुराना अनुमंडल है
बाढ़ नगर में बना 1865 का सबसे पुराना अनुमंडल. यह बिहार की राजधानी पटना से केवल 64 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. आप यहाँ किसी भी वाहन द्वारा जा सकते है बस, ट्रैन या सड़क मार्ग से आराम से पहुँच सकते हैं .
कामना पूर्ति मंदिर भी है Umanath mandir
Umanath Mandir की विशेषता में चार चांद लगाते हुए वर्णित दोहा इस प्रकार उद्धृत होती है-‘‘बाढ़ बनारस एक है, बसै गंग के तीर! उमानाथ के दर्शन से कंचन हो शरीर’’. उक्त दोहा मंदिर निर्माण के वक्त ही यहां लगे एक शिलापट्ट पर उकेरी गई थी, जो वक्त के थपेड़ों से काल कल्वित हो गई. बावजूद इसके इस मंदिर की आस्था में आज तक कोई कमी नहीं आई है.
बिहार के कोने-कोने से लोग मन्नत मांगने आज भी इस मंदिर में पहुंचते हैं और बाबा उमानाथ Umanath Mandir की कृपा से उनका मन्नत पूरी होती है. प्राचीन और विश्वविख्यात उमानाथ (शिव) मंदिर गंगा के तट पर ही स्थित है. प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु अपनी कामना पूर्ति के लिए यहां गंगा स्नान कर भगवान भोलेनाथ के दर्शन करते हैं. इस प्राचीन तीर्थ स्थल की चर्चा गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस के उत्तरकांड में की गई है.
श्रीकृष्ण और श्रीराम ने भी की है पूजा अर्चना
ऐसा माना जाता है कि इसी जगह (Umanath Mandir) पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने भगवान शिव की पूजा व जाप करने के पश्चात पिंडदान के लिए गया की तरफ प्रस्थान किया था .भगवान श्रीकृष्ण ने भी इस स्थान पर शिव की पूजा-अर्चना की थी. कहते हैं कि Umanath Mandir का निर्माण त्रेतायुग में किया गया था. कभी रावण भी इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा अर्चना की थी! और कहा जाता है कि फूल की जगह अपनी गर्दन काट कर चढ़ाया था .
पांडवो के द्वारा किया गया था Umanath Mandir का निर्माण
कई विद्वानों का ऐसा मानना है कि Umanath Mandir के निर्माण का श्रेय पांडवों को दिया जाता है. पुराने समय में उत्तर नारायण गंगा के तट पर ऋषि-मुनि तप करते थे. तप व यज्ञों में असुर प्राय: विघ्न डाला करते थे, जिनके अत्याचार से ऋषि-मुनि त्रस्त थे. साधु-संतों को असुरों से मुक्ति दिलाने हेतु बिजली की चमक व भूतल की गड़गड़ाहट में एक मनोरम और दैदीप्यमान शिवलिंग का प्रादुर्भाव हुआ, जिसके गुण एवं प्रभाव को देखकर दैत्य वहां से हमेशा-हमेशा के लिए पाताल लोक चले गए .
यहाँ जहांगीर की मनोकामना पूरी हुई थी
आपको बता दें तो मुगल बादशाह जहांगीर की मनोकामना पूर्ण होने के उपलक्ष उन्होंने Umanath mandir को करीब 270 एकड़ भूमि दान में दी थी. ऐसा बताया गया है की सर गणेश दत्त सिंह के द्वारा यहाँ यानि की Umanath Mandir में स्वर्ण का कलश व ध्वज भी स्थापित किया था. गिद्धौर महाराज के द्वारा भी उमानाथ मंदिर को दान दिया था. अनंत श्री ब्रह्मलीन पूज्यपाद धर्म सम्राट स्वामी करपात्री महाराज प्राय: उमानाथ आया करते थे.
विख्यात मैथिली कवि और भगवान शंकर के परम भक्त विद्यापति दरभंगा महाराज केसवारी से प्रत्येक वर्ष उमानाथ दर्शनार्थ आया करते थे. पद्म श्री ज्योतिषाचार्य पं. विष्णुकांत जी ने उमानाथ प्रस्थान करके भगवान शिव की पूजा अर्चना की और उमानाथ के बारे में विस्तारपूर्वक वर्णन किया था.
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