न्यूज़ डेस्क : (GBN24)
स्वाति मालीवाल (Swati Maliwal): लोकसभा चुनाव के बीच राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल का मुद्दा सुर्ख़ियों पर है स्वाति मालीवाल का कभी मारपीट वाला वीडियो तो कभी सीएम आवास से निकाले जाने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। स्वाति मालीवाल अपने ही पार्टी में फसती हुई नजर आ रही है क्योंकि उनके ही पार्टी के नेता का आरोप है कि स्वाति मालीवाल का मारपीट का केस दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को फंसाने के लिए किया गया है।
दरअसल अरविंद केजरीवाल के पीए विभव कुमार पर स्वाति मालीवाल ने बदसलूकी और मारपीट करने का आरोप लगाया है। जिसको लेकर सबसे पहले AAP सांसद संजय सिंह ने कहा था कि इसपर कार्यवाई की जाएगी। हालांकि अब आम आदमी पार्टी पलट गयी है। जी हाँ आम आदमी पार्टी ने बयान जारी करते हुए BJP को घेरा और कहा ”स्वाति मालीवाल से मारपीट का केस अरविंद केजरीवाल को फंसाने के लिए की गई, जिसे भाजपा रच रही है। स्वाति मालीवाल तो चेहरा मात्र हैं। विभव कुमार के ऊपर लगे आरोपों को पार्टी ने निराधार बताया है”।
क्या स्वाति मालीवाल को राजनीति में पड़ेगा असर
इस मामले को लेकर राजनीति में स्वाति मालीवाल पर क्या असर पड़ेगा इसका सवाल आपके मन में जरूर आ रहे होंगे। पार्टी से लड़ाई के बीच क्या स्वाति मालीवाल की कुर्सी जा सकती है। इस सवाल का जवाब ये है कि बिल्कुल नहीं। दरअसल स्वाति मालीवाल आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद हैं। इन सभी लड़ाई से उनकी सांसदी पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
क्योंकि भारतीय संविधान की दसवीं अनुसूची के नियमों के मुताबिक, एक सांसद को केवल दो ही परिस्थितियों में अयोग्य हटाया जा सकता है। पहला कि वह खुद इस्तीफा दे। दूसरा कि वह सांसद किसी पार्टी के व्हिप या निर्देशों के खिलाफ वोटिंग करे या फिर मतदान के दौरान सदन में अनुपस्थित रहे।
इन दो कारणों को ध्यान में रखते हुए सांसदों को अयोग्य ठहराया जा सकता है। हालांकि आम आदमी पार्टी चाहे तो स्वाति मालीवाल को पार्टी से निलंबित कर सकती है। अगर पार्टी उन्हें निलंबित कर देती है तभ भी स्वाति मालीवाल सांसद बनी रह रहेंगी है। क्योंकि भारतीय संविधान की 10वीं अनुसूची का निमय जिसे “दल बदल विरोधी कानून” कहते हैं वह लागू नहीं होगा।
स्वाति मालीवाल आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद हैं। आम आदमी पार्टी से उनकी लड़ाई के बीच, यह सवाल उठता है कि क्या उनकी कुर्सी जा सकती है। इस सवाल का सीधा सा जवाब है कि बिल्कुल नहीं। दरअसल, आम आदमी पार्टी से सीधी लड़ाई का असर उनकी सांसदी पर नहीं पड़ेगा।
भारतीय संविधान की दसवीं अनुसूची के नियमों के मुताबिक, एक सांसद को केवल दो ही परिस्थितियों में अयोग्य ठहराया जा सकता है। पहला, कि वह सांसद स्वेच्छा से पार्टी से या अपनी सांसदी से इस्तीफा दे। दूसरा, कि वह सांसद किसी पार्टी के व्हिप या निर्देशों के खिलाफ वोटिंग करे या फिर मतदान के दौरान सदन में अनुपस्थित रहे। इन दो कारणों को ध्यान में रखते हुए ही सांसदों को अयोग्य ठहराया जा सकता है।
संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत ये नियम सांसदों के लिए सख्त अनुशासन बनाए रखने का कार्य करते हैं और केवल विशिष्ट परिस्थितियों में ही अयोग्यता की स्थिति उत्पन्न होती है।
इसलिए, जब तक स्वाति मालीवाल पार्टी के व्हिप या निर्देशों के खिलाफ नहीं जातीं या स्वेच्छा से इस्तीफा नहीं देतीं, उनकी राज्यसभा की सदस्यता सुरक्षित है। आम आदमी पार्टी से लड़ाई के बावजूद उनकी सांसदी पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा।
इन नियमों की पृष्ठभूमि को समझते हुए, यह स्पष्ट है कि आंतरिक पार्टी विवाद सांसदों की स्थिति को तुरंत प्रभावित नहीं कर सकते, जब तक कि वे संविधान में निर्दिष्ट शर्तों का उल्लंघन नहीं करते।