भारत के सबसे ताकतवर रॉकेट LVM3-M5 ने CMS-03 को अंतरिक्ष में भेजा
ISRO ने रविवार को अपना सबसे भारी संचार उपग्रह CMS-03 सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में स्थापित किया। इस उपग्रह का वजन करीब 4,410 किलो है और इसे GTO (Geosynchronous Transfer Orbit) में स्थापित किया गया। यह मिशन श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया। लॉन्च के लिए भारत का सबसे शक्तिशाली रॉकेट LVM3-M5, जिसे ‘बाहुबली रॉकेट’ कहा जाता है, इस्तेमाल किया गया। इस सफलता ने भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की क्षमता को और मजबूत किया।
CMS-03 से बढ़ेगी भारत की संचार और निगरानी क्षमता
CMS-03 उपग्रह भारतीय संचार और निगरानी प्रणाली को मजबूत करेगा। यह उपग्रह भारतीय नौसेना को समुद्र में दुश्मनों पर नजर रखने में मदद देगा। साथ ही यह सुरक्षित और निर्बाध संचार सुविधा प्रदान करेगा। इस उपग्रह की मदद से भारत की रक्षा और समुद्री निगरानी प्रणाली और प्रभावी बनेगी। ISRO ने इस मिशन को उच्च तकनीकी मानकों के साथ अंजाम दिया।
बाहुबली रॉकेट की तकनीक ने साबित किया दम
LVM3-M5 रॉकेट तीन हिस्सों से बना है — दो बड़े बूस्टर, एक लिक्विड इंजन और एक क्रायोजेनिक इंजन। इसी रॉकेट का इस्तेमाल पहले चंद्रयान-3 मिशन में हुआ था। चंद्रयान-3 ने भारत को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बनाया। इस रॉकेट ने न केवल भारी उपग्रह लॉन्चिंग में बल्कि अंतरिक्ष यात्रा में भी भारत की क्षमताओं को साबित किया। भारत की अंतरिक्ष तकनीक अब नई ऊंचाइयों तक पहुंच चुकी है।
ISRO के मिशन से बढ़ी अंतरिक्ष में आत्मनिर्भरता
CMS-03 मिशन ने भारत की अंतरिक्ष में आत्मनिर्भरता और तकनीकी विशेषज्ञता को और मजबूत किया। इस उपग्रह के जरिए भारत अब संचार और निगरानी क्षेत्र में और प्रभावी भूमिका निभा सकता है। ISRO ने मिशन की सफलता पर वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाई दी। इस तरह के मिशन भारत को वैश्विक अंतरिक्ष मानचित्र में और ऊंचा स्थान दिलाते हैं। देशभर में इस सफलता को गर्व और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है।
















