न्यूज़ डेस्क : (GBN24)
Israel और Iran के बीच चल रहे संघर्ष से एक बार फिर भारत की चिंता बढ़ गई है. जहां एक तरफ दोनों देशों के भारत स्थित राजदूत युद्ध को आगे न बढ़ाने की बात कर रहें हैं, वहीं दूसरी तरफ Israel हालही मे हुए Iran की तरफ से हुए हमले का मुहतोड़ जवाब देने की प्लानिंग कर रहा है। ऐसे मे भारत की चिंताएं और बढ़ती जा रही है
Israel और ईरान से भारत के क्या हैं संबंध.
भारत और Iran के बीच कई मैत्रीपूर्ण संबंध हैं विशेष रुप से भारत मे कच्चे तेल के आयात और Iran को डीजल निर्यात मे महत्वपूर्ण व्यापार संबंध हैं। साथ ही साथ दोनों देश मिलकर चाबहार बंदरगार (Chabahar port) विकार परियोजना पर काम कर रही है चाबहार बंदगाह पाकिस्तान मे चीन द्वार वित्त पोषित ग्वादर बंदरगाह (Gwadar port) के पास स्थित है। यह बंदरगाह व्यापार मार्गों और कनेक्टिविटी को मजबूत करने के भारत के प्रयासों का अहम हिस्सा है।
वहीं दशकों की गुट मिरपेक्ष और अरब समर्थक नीति के बाद, भारत ने औपचारिक रूप से Israel के साथ संबंध स्थापित किए। 1992 में तेल अवीव में दूतावास खुला इससे दोनों देशो के बीच संबंध और मजबूत हुए। आज Israel भारत को भारी मात्रा मे आधुनिक हथियार सप्लाई करता है और भारत की ओर से हीरे, ज्वैलरी ,कंज्यूमर इलेक्ट्रानिक्स और इजिनियरिंग सामान सप्लाई करता है ।
भारत दोनों देशों के साथ मजबूत संबंध का पक्षकार:
भारत Iran और Israel दोनों देशों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखना चाहता है भारत के Iran से संबंध मजबूर रहे हैं दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय आदान प्रदान और सहयोग समझौते हुए हैं इसी तरह रक्षा और औद्धोगिक व्यापार क्षेत्र में Israel के साथ भारत की साझेदारी बढ़ी है ।
Iran और Israel संघर्ष से भारत पर कितना पड़ सकता है असर?
पूर्व राजनइक अशोक सज्जनहार ने संघर्ष पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अगर संघर्ष क्षेत्रिय संघर्ष मे बदल जाता है, तो यह केवल भारत के लिए ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी समस्या होगी। पश्चिम एशिया मे लगभग 80 से 90 लाख भारतीय काम करते है और क्षेत्र मे युद्ध छिड़ने पर भारतीयों का वहां से बाहर निकलना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, उन्होंने कहा भारत अपनी ऊर्जा आपूर्ति के लिए इस क्षेत्र पर बहुत अधिक निर्भर है 83% से 85 % ऊर्जा पशि्चम एशिया से आयात की जाती है यदि दोनो देशों के बीच युद्ध बढ़ा तो भारत पर इसका बुरा असर पड़ेगा।
कच्चे तेल को लेकर बढ़ गई चिंता
मिडिल ईस्ट में तनाव ने भारत ही नही बल्कि पूरी दुलिया को चिंता मे डाल दिया है यहां से कच्चे तेल (Crude Oil) का आयात दुनियाभर में होता है. खासतौर पर भारत पर नजर डालें, तो देश दुनिया में कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है और अपनी 85 फीसदी से ज्यादा जरुरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है.