न्यूज़ डेस्क : (GBN24)
Water on the Moon: सदियों से दुनिया के लिए रहस्य बना हुआ हैं कि चांद पर पानी है या नहीं, अगर है तो फिर किस रूप में और कितनी मात्रा में? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिनका उत्तर वैज्ञानिको द्वारा सदिंयों से खोजा जा रहा है मगर अब धीरे-धीरे चंद्रमा के रहस्यों से पर्दा उठने लगा है।
जी हां, इंसान के कदम जैसे-जैसे चांद की ओर बढ़ रहे है वैसे-वैसे चंद्रमा को लेकर एक नई जानकारी सामने आ रही है। एक नई स्टडी में पता चला है कि चंद्रमा के ध्रुवीय गड्ढों में बर्फ के रूप में पानी की अधिक मात्रा हो सकती है। ISRO ने यह जानकारी दी।
इस खोज का भविष्य के चंद्र अभियानों और चंद्रमा पर दीर्घकालिक मानव उपस्थिति के लिए महत्वपूर्ण प्रभाव है। चांद पर बर्फ की खोज चंद्रमा की सतह पर जीवन की संभावना को स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण होगी। इसके अलावा, अध्ययन से यह भी पता चलता है कि उत्तरी ध्रुवीय क्षेत्र में पानी की बर्फ की मात्रा दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र की तुलना में दोगुनी है।
ज्वालामुखी पानी के श्रोत
चंद्रमा का यह अध्ययन इस परिकल्पना की पुष्टि करता है कि चंद्रमा के ध्रुवों में जल बर्फ का प्राथमिक स्रोत 3.8 से 3.2 अरब वर्ष पहले इम्ब्रियन काल में ज्वालामुखी के दौरान निकला था। तीव्र ज्वालामुखी के प्रभाव से घाटियों और मारिया (प्राचीन ज्वालामुखी विस्फोटों से बने अंधेरे, सपाट मैदान) का निर्माण हो गया था। नतीजे से यह भी निष्कर्ष निकलता है कि पानी की बर्फ ज्वालामुखी के प्रभाव के कारण हुआ होगा।
इन उपकरणों की मदद से खोजा पानी
अनुसंधान टीम ने चंद्रमा पर पानी की बर्फ की उत्पत्ति और वितरण को समझने के लिए नासा के चंद्र टोही ऑर्बिटर (LRO) पर रडार, लेजर, ऑप्टिकल, न्यूट्रॉन स्पेक्ट्रोमीटर, अल्ट्रा-वायलेट स्पेक्ट्रोमीटर और थर्मल रेडियोमीटर सहित सात उपकरणों का उपयोग किया।
सतह पर बर्फ का होना एक नई संभावना पैदा करता है
भारत के चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) चंद्र ऑर्बिटर के रडार डेटा का उपयोग करते हुए निकाले गए निष्कर्ष संकेत देते हैं कि कुछ ध्रुवीय क्रेटर में बर्फ जमा हो सकती है पानी मानव जीवन के लिए एक बहुमूल्य संसाधन है।
ऐसे में चंद्रमा की सतह के ठीक नीचे से बर्फ का होना एक नई संभावना पैदा करता है चांद पर पानी की खोज को लेकर दुनियाभर के वैज्ञानिक सालों से खोज में जुटे हैं। इसको लेकर अलग-अलग तरह की जानकारी भी सामने आती रही है