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Bihar Election 2025: जनसुराज के संजय सिंह ने थामा BJP का हाथ, Prashant Kishor की मुश्किलें बढ़ीं

Sanjay Singh of Jansuraj joins BJP, Prashant Kishor's troubles increase

प्रशांत किशोर की जनसुराज में मचा हड़कंप

बिहार की राजनीति में रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर को एक बार फिर बड़ा झटका लगा है। उनकी पार्टी जनसुराज के सक्रिय सदस्य और प्रत्याशी संजय सिंह ने पार्टी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया है। बताया जा रहा है कि बीते कुछ दिनों से संजय सिंह बीजेपी के संपर्क में थे और आखिरकार उन्होंने मंगलवार को पटना में एक गुपचुप मीटिंग के बाद औपचारिक रूप से पार्टी जॉइन की। संजय सिंह ने न केवल बीजेपी की सदस्यता ली बल्कि उन्होंने आगामी चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार के समर्थन का भी ऐलान किया है | इस घटनाक्रम से जनसुराज कार्यकर्ताओं में नाराज़गी और असमंजस की स्थिति बनी हुई है।

गुपचुप मीटिंग में हुआ ‘राजनीतिक खेल’

सूत्रों के मुताबिक, यह मीटिंग एक निजी गेस्ट हाउस में हुई जहाँ बीजेपी के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने संजय सिंह से मुलाकात की। इस मुलाकात में आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र रणनीति और संजय सिंह की भूमिका पर चर्चा हुई। यह खबर लीक होते ही राजनीतिक हलकों में हलचल तेज़ हो गई। बीजेपी में शामिल होने के बाद संजय सिंह ने कहा कि उन्होंने यह फैसला “राज्य के विकास और स्थिर सरकार” के हित में लिया है | उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार ने जो काम किया है, उसे आगे बढ़ाने के लिए वे अब बीजेपी के साथ रहेंगे |

प्रशांत किशोर के लिए बढ़ी मुश्किलें

जनसुराज अभियान की शुरुआत से ही प्रशांत किशोर ने “जनता का आंदोलन, जनता की पार्टी” का नारा दिया था, लेकिन हाल के महीनों में पार्टी के कई नेताओं के बीजेपी या जेडीयू में शामिल होने से संगठन कमजोर पड़ता दिख रहा है। संजय सिंह का जाना PK के लिए राजनीतिक और भावनात्मक दोनों झटका माना जा रहा है, क्योंकि वे जनसुराज के शुरुआती चेहरों में से एक थे। माना जा रहा है कि बीजेपी जनसुराज के भीतर सेंध लगाकर PK के जनाधार को कमजोर करने की रणनीति पर काम कर रही है।

बीजेपी की बढ़ती पकड़, PK की परीक्षा

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बिहार में चुनावी माहौल गर्म होते ही बीजेपी हर उस संगठन पर नजर रखे है जो उसके वोट बैंक को प्रभावित कर सकता है। ऐसे में संजय सिंह जैसे सक्रिय कार्यकर्ता का बीजेपी में शामिल होना पार्टी के लिए रणनीतिक लाभ साबित हो सकता है। वहीं, प्रशांत किशोर अब इस झटके के बाद अपने जनसुराज अभियान को फिर से मज़बूत करने और संगठन को एकजुट रखने की चुनौती का सामना कर रहे हैं। आने वाले दिनों में यह तय होगा कि PK इस टूट को कैसे संभालते हैं।

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